शिकवा करते हो शोलों के दरिया में से जाना होगा
किसने तुम से कहा प्यार का मौसम सदा सुहाना होगा
उनसे अगर मुख्तलिफ़ हों तो ख़तावार समझे जाते हैं
इश्क ख़ता है उनकी नजरों में, भरना हर्जाना होगा
उल्फ़त के चिराग रोशन हैण गुलदस्ते के पहलू में अब
जिसने नहर निकाली वो तो सचमुच ही दीवाना होगा
पत्थर की मूरत को छप्पन भोग, आदमी को दो टुकड़े
जो देता, क्या सच में उसका ईश्वर से याराना होगा
वज़्मे सुख़न के काबिल मिसरा देती नहीं कलम अब कोई
बिखरेंगे अशआरजहाँ जाकर मेरे, वीराना होगा
शिकवा करते हो शोलों के दरिया में से जाना होगा
किसने तुम से कहा प्यार का मौसम सदा सुहाना होगा
उनसे अगर मुख्तलिफ़ हों तो ख़तावार समझे जाते हैं
इश्क ख़ता है उनकी नजरों में, भरना हर्जाना होगा
aji waah behtarin,lajawab,kya kahun shuruwat mein hi dil jeet liya,sunder prastuti badhai.
आपकी नजरे इनायत का शुक्रिया
बहुत ही सुन्दर ……..मौन हूँ पढकर …..अतिसुन्दर
हौसला आफ़ज़ाई का शुक्रिया
BAHUT HEE SASHAKT RACHNA HAI. PAR AAPNE APNE AAP KO ITNA GOPNEEY KYON RAKHA HAI
गोपनीय कौन है ? आप अपने आप को तो जानें पहले फिर दूसरों को पहचान पाने की नजरें मिलती हैं
Arunima Ji,
Aap likhtin hain par yahan post nahin kartin apni nayi ghazalein? Ab aapki latest ghazal padhni ho toh ekavita mein use khoob dhoondhna padega :(. Post kar diya keejiye an yahan bhee unhein 🙂
Sadar,
Shardula